नागरिकता बिल

नई दिल्ली. गृह मंत्री अमित शाह आज मिजोरम के दौरे पर जाएंगे और स्थानीय नेताओं से बातचीत करेंगे। सिविल सोसाइटी संगठन और छात्र संगठनों ने बताया कि उनके नेता गृह मंत्री अमित शाह से मिलकर नागरिकता बिल पर अपनी चिंताओं से अवगत कराएंगे। इस बिल के माध्यम से सरकार 31 दिसंबर 2014 से पहले पड़ोसी देशों से आए हिंदू, बौद्ध, सिख और ईसाई लोगों को नागरिकता देने का प्रावधान किया गया है।


गृह मंत्री राजधानी आइजोल आएंगे। उनका नागरिकता (संशोधन) बिल को लेकर मुख्यमंत्री जोरमथांगा और अन्य नेताओं से मुलाकात करने का कार्यक्रम है। एनजीओ के एक सदस्य ने बताया, “हम गृह मंत्री को एक मेमोरेंडम सौपेंगे और नागरिकता विधेयक 1955 में संशोधन करने के सरकार के प्रस्ताव पर चर्चा करेंगे।” इससे पहले, इन संगठनों ने कहा था कि वे नागरिकता (संशोधन) बिल के विरोध में रैली निकालेंगे लेकिन मुख्यमंत्री से मुलाकात के बाद इस फैसले को रद्द कर दिया गया। मुख्यमंत्री ने संगठनों से गृह मंत्री के राज्य का पहला दौरा को देखते हुए विरोध न करने का अनुरोध किया था।


भाजपा की सहयोगी मिजो नेशनल फ्रंट भी विरोध में


मुख्यमंत्री जोरामथांगा मिजो नेशनल फ्रंट के प्रमुख है जो राज्य में भाजपा के सहयोगी दल हैं। उनकी पार्टी और नॉर्थ ईस्ट डेमोक्रेटिक अलायंस (नेडा) ने बिल का विरोध करने का फैसला लिया था। मिजोरम में चामा समुदाय को राज्य से बाहर करने की मांग लंबे समय से चल रही है। उस पर बांग्लादेश से राज्य में पलायन करने का आरोप है। वहीं, चकमा समुदाय की संख्या मिजोरम में 11 लाख है। इन समुदाय को भी राज्य से बाहर किए जाने की मांग की जा रही है। इनके और स्थानीय समुदायों के बीच लंबे समय से संघर्ष चल रहा है।


असम एनआरसी से 12 लाख हिंदू बाहर रहे


हाल ही में 31 अगस्त को, असम में नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन (एनआरसी) का काम पूरा हुआ है। इसमें करीब 19 लाख लोग बाहरी पाए गए है। इसमें 12 लाख हिंदू शामिल है। ऐसे में नागरिकता (संशोधन) बिल पारित होता है तो इन्हें राज्य में रहने की अनुमति मिल जाएगी। इसको देखते हुए पूरे पूर्वोत्तर राज्यों में इसका विरोध हो रहा है। सत्तारूढ़ भाजपा सरकार ने कहा था कि इस एनआरसी को पूरे देश में पूरा किया जाएगा।